एक भटकी हुई मुलाकात मिश्र जी की विशिष्ट कहानियों का महत्वपूर्ण संकलन है। मिश्र जी की कहानी- यात्रा छठे दशक में शुरू तो हो गई थी किंतु उसे सघनता और निरंतरता सातवें दशक में प्राप्त हुई। छ्ठे- सातवें दशक में अनेक छोटे-बड़े बाद (आंदोलन नहीं) खलबलायें हुए थे और उन से जुड़कर साहित्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की आपाधापी मची हुई थी। उन वादों की निरर्थकता की पहचान कर मिश्र जी उनमें से किसी से नहीं जुड़े। यह तो अपने समय की चेतना के प्रभाव के साथ स्वत: चलते रहें। मिश्र जी के समस्त लेखन की धुरी है अनुभव। यह प्रगतिशील दृष्टि से अनुभवों को रच कर एक ऐसा संसार खड़ा करते हैं जो पाठकों को अपना संसार लगता है। मिश्र जी की जीवन- यात्रा गांव से लेकर महानगर तक है। उन्होंने गांव को तो आर- पार जिया हीं शहर को भी उतनी ही गहराई से जिया जितनी गहराई से जीना संभव हो सका। अतः इनकी कहानियों में गांव, नगर और महानगर के जीवन- यथार्थ के विविध आयाम प्रभावशाली ढंग से रूपायित हुए हैं। इन कहानियों में अन्तर्जगत और बहिर्जगत की व्याप्ति हैं। मिश्र जी मूलतः अभिशप्त जीवन के पक्षधर लेखक हैं अतः इनकी कहानियों में नारी और दलित- यातना कितने ही आयाम सहज रूप में मूर्त हैं। इन्होंने अपनी विद्रोह- चेतना को भी बखूबी रेखांकित किया है। कथ्य की ईमानदारी और अभिव्यक्ति- सहजता इनकी कहानियों को अद्भुत पठनीयता प्रदान करती है। डॉ. स्मिता मिश्र
Ram Darshan Misra
रामदरश मिश्र, जन्म - 15 अगस्त 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गांव में। शिक्षा- एम.ए.,पीएच.डी.। साहित्य अकादमी सम्मान, व्यास सम्मान,भारत-भारती शलाका सम्मान सहित अनेक बड़े सम्मानों से सम्मानित। संप्रति- सेवा- निवृत्त प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय।