मुंशी प्रेमचंद लेखक, कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, संपादक थे। उनके बारे में मुझे अनेक लेखकों के विचार लिखने का मौका मिला। इसलिए मैं खुश हूं। उनकी कहानियों में कुछ कमियां रह गई हैं, (जो भी कारण हो )उनकी सारी कहानियां अभी पूरी नहीं पढ़ी गई हैं, ऐसा लगता है । मानसरोवर भाग -एक से भाग आठ तक की कहानियों में से 5-10 कहानियां ही लेखक वर्ग पढ़ पाया हो। बाकी की कहानियां अभी पढ़ना रह गई है । यह कहानियां पढ़ कर उन पर लिखने से भारत और विदेशों में भी लेखकों, विद्यार्थी और पाठकों को भी लाभ होगा ।
जी. के. कानेकर
जी. के. कानेकर , जन्म- ग्राम कोलारी (पट) लहसील- लाखनी, जिला भंडारा (म.रा.) शिक्षा- बी.काम/ मराठी/अंग्रेजी-टायपिग , पत्रकारिता डिप्लोमा (अंबाला छावनी) सेवानिवृत्त: 30.09.2013( एस.बी.आई. अधिकारी) लेखन - 1- क्रान्ति 2- अम्बेडकरवादी कविता 3- देश-विदेश में बुद्धस्थल 10- पत्र- पत्रिकाओं में लेख / कविता/ कहानी/ समीक्षा प्रकाशित/