विभिन्न आंदोलनों, विचारधाराओं के दौर से गुजरता समकालीन उपन्यास जिस रूप में हमारे सामने हैं उसे ही परखने- पड़तालने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। कविता के बाद कथा विद्या की ओर आलोचकों का ध्यान अधिक गया है । एक समय था जब महिला रचनाकारों की ओर आलोचक बहुत कम ध्यान देते थे, पर अब महिलाएं भी हिंदी जगत को उत्कृष्ट कृतियां दे रही है। इस पुस्तक में केवल महिला रचनाकारों को ही लिया गया है। ऐसी पुस्तकें हिंदी में पर्याप्त मात्रा में है। जिसमें पुरुष एवं महिला रचनाकारों की कृतियों को परखा गया है, केवल महिलाओं की कृतियों पर बात करने वाली मेरी दृष्टि में यह पहली पुस्तक है, ये रचनाएं किसी एक विचार, सिद्धांत या आंदोलन के प्रति समर्पित हो कर परिवेशगत परिवर्तन की गहन विवेचना करती हैं। इन रचनाकारों ने महिलाओं की समस्याएं, उनके अधिकारों, अस्मिता, सामाजिक - आर्थिक सुरक्षा पर खुल कर बात की है। इन रचनाकारों ने चिंतन कल्पना की ऊंची- उड़ान, अनुभवों की व्यापकता, फेंटेसी आदि का सफल प्रयोग किया है । इस पुस्तक में महिलाओं द्वारा रचित कुछ विशिष्टउपन्यासों पर ही बात की गई है और उनके योगदान को रेखांकित किया गया है । एक ही पुस्तक में सभी उपन्यासों को समेटना संभव नहीं है । उपन्यासों में बहुरंगी विविधता की चर्चा करते हुए, भाषा एवं शैलीगत विविधता पर भी बात की गई है। इन रचनाकारों ने स्त्री के संघर्ष, सुरक्षा, अस्मिता आदि प्रश्नों को सशक्त ढंग से उठाया है। एक साथ कई महिला रचनाकारों की कहानियों, उपन्यासों से रूबरू होना पाठकों को अच्छा लगेगा ।
Dr. Gurcharan Singh
उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता, बाल साहित्य, आलोचना, साक्षात्कार, संपादन, अनुवाद कोष, निर्माण आदि कई विधाओं में लेखन के लिए। सुविख्यात डॉ. गुरचरण सिंह का जन्म 7 जून,( 1943), को सानौदा (सागर, मध्यप्रदेश ) में हुआ। अंग्रेजी और हिंदी में एम.ए. करने के उपरांत दिल्ली विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की। उन्हें यू.जी.सी. की सीनियर रिसर्च फैलोशिप भी मिली। अपने पहले उपन्यास यात्रा (1983), के साथ ही उपन्यासकार के रूप में उनकी पहचान बनी। अपने उपन्यासों में डूब जाती है नदी (1985),अपना अपना सच (1889), नाग पर्व (1991. 2005), की हिंदी कथा साहित्य में अपनी नई संवेदना, विचार, प्रश्नकुलता एवं नए विषयों को प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है । सम्प्रति - श्री गुरुनानक देव खालसा महाविद्यालय ( दिल्ली विश्वविद्यालय) के हिन्दी विभाग से उपाचार्य पद से सेवानिवृत्त।पता - 6/15, अशोक नगर, दिल्ली- 110018